मुझे सितारे सताते हैं।
मुझे सितारे सताते हैं ,
चांद चिढ़ाता है,
तकिये अब हमदर्द नहीं लगते ,
उदासी अब उदासीन जो हो रही है ।
उदासी का महसूस ना होना भी,
एक श्राप से कम ना मानो ।
उदासी का खाली हो जाना,
खुशियों के खुशी को भी कम कर जाता है ।
गम की आदत पड़ने लगे तो समझो ,
अकेला मन कैद हो जाता है।
आंखें बेबस रो लेता , तो शायद
दिल हल्का हो जाता ।
पर इतनी उर्जा भी ना रही, कि
आंसू को आंखों से गिराया जा सके ।
हर सवाल का जवाब मिल गया,
कोई फर्क नहीं पड़ता ,
जो आज होगा कल नहीं ,
तो गम नहीं बढ़ता ।
उदासीनता का अधिक हो जाना,
मुझे नीरस कर रहा ।
किया भी क्या जा सकता है ।
सांप के डसे को नमक की तेज क्या लगे ।
लगता है अब बचना मुश्किल है,
पर समय पूरा नहीं हुआ,
मरा भी नहीं जाता है ।
ईश्वर आंखों को रुला दे तो बेहतर ,
ये उदासीनता अब सहा नहीं जाता है।।
#nidhi #nidhishree #nidhishreejournal #nidhishreepoetry #nidhishreepoem #nidhishree
#nazm
Comments
Post a Comment