मुझे सितारे सताते हैं।

 मुझे सितारे सताते हैं ,

चांद चिढ़ाता है, 

तकिये अब हमदर्द नहीं लगते ,

उदासी अब उदासीन जो हो रही है ।

उदासी का महसूस ना होना भी, 

एक श्राप से कम ना मानो ।

उदासी का खाली हो जाना,

खुशियों के खुशी को भी कम कर जाता है ।

गम की आदत पड़ने लगे तो समझो ,

अकेला मन कैद हो जाता है। 

आंखें बेबस रो लेता , तो शायद 

दिल हल्का हो जाता ।

पर इतनी उर्जा भी ना रही, कि 

आंसू को आंखों से गिराया जा सके ।

हर सवाल का जवाब मिल गया,

कोई फर्क नहीं पड़ता ,

जो आज होगा कल नहीं ,

तो गम नहीं बढ़ता ।

उदासीनता का अधिक हो जाना,

मुझे नीरस कर रहा ।

किया भी क्या जा सकता है ।

सांप के डसे को नमक की तेज क्या लगे ।

लगता है अब बचना मुश्किल है,

पर समय पूरा नहीं हुआ,

मरा भी नहीं जाता है ।

ईश्वर आंखों को रुला दे तो बेहतर ,

ये उदासीनता अब सहा नहीं जाता है।।


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