अंत जिसका सफ़ल हुआ
ख़ुशी की कहानी कितनी छोटी है,
और वो भी अंत हुआ,
हर कोई किसी पर हंसता है,
चलो किसी के दुःख में रोता भी,
जीवन कहानी कहां सरल हुआ ।
कहानी जब लिखी जाती है,
कहां सुख दिल को लुभाती है ,
दुःख हर क़िरदार का हिस्सा है ,
कुछ ऐसा ही किस्सा सच्चा है ,
हस्ता चेहरा तो भ्रम हुआ ।
सब कल्पना की बाते है ,
सुख सोच में ही पाले जाते है ,
जमीन तो तपता सोना है ,
हमे उसमे ही कुंदन होना है ,
शुरुवात नही सरल उनका,
अंत जिनका सफ़ल हुआ ।
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