मेरे लिए भी कृष्ण आएं - Nidhishree
मन का इतना बोझिल हो जाना ,
उफ्फ क्या लिखा जाय !
सारा जहन उतार देना चाहतीं हूं,
ये जो हर वक्त अंदर कुछ जलता रहता है
कभी कभी बहुत परेशान करता है ।
बहुत मुश्किल है जीना , कैसे जीया जाए,
काश कोई आए थामें हाथ उस पार ले जाए,
दिखाएं रास्ता मेरे लिए भी कृष्ण आये।
आज मोहब्बत का दुःख नहीं, अपने अस्तिव से भरोसा उठ जानें सा दुःख है, मानो जैसे अर्जुन की बाण चूक गई अपना लक्ष्य भेदने में । मानों जैसे एकलव्य चूक गया दक्षिणा देने में
ग्लानि, आज मालूम हुआ इससे ज्यादा दुखद कुछ भी नही।
कोई रक्खे हाथ सर पर मुझे समझाए
दिखाएं आकाश अनंत, भेद बताएं
कहे कुछ गीता जैसा, मेरे लिए भी कृष्ण आये।
आएं कृष्ण मुझे बताएं , पथ पथरीले कहां को जाए
पार्थ कहें मुझे गले लगाए , बने सारथी दिशा दिखाएं
काश मेरे लिए भी कृष्ण आएं ।
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